दुनिया के 148 देशों में स्थापित हैं सत्य साईं केंद्र
स्वयं को बताया शिवशक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार
भक्तों के अनुसार अर्धनारीश्वर का रूप थे बाबा
हैदराबाद : भारत समेत पूरी दुनिया के लोग श्री सत्य साईं के नाम से अच्छी तरह से वाकिफ होने के साथ ही उन्हें ईश्वर का साक्षात अवतार कहते थे। भारत के सभी प्रदेशों के लगभग सभी शहरों और गांवों में सत्य साईं के संगठन हैं, जो बाबा के आध्यात्मिक संदेशों को प्रचार प्रसार कर रहे हैं। वर्तमान समय में दुनिया के 148 देशों में उनके नाम पर सत्य साईं केंद्र स्थापित हैं, तो आइये आज श्री सत्य साईं के जन्मदिवस के अवसर पर आपको उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं...
भारत सहित दुनिया के 148 देशों में लोगों के लिए साक्षात ईश्वर का अवतार श्री सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर 1923 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में हुआ था। श्री साईं का जन्म सोमवार कार्तिक मास, अक्षय वर्ष आद्रा नक्षत्र में, पूर्णिमा के बाद तृतीय तिथि ब्रह्म मुहूर्त में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि जब नवजात श्री सत्य ने जन्म लिया, तो उस समय घर में रखे सभी वाद्ययंत्र स्वत: बजने लगे और एक रहस्यमय नाग बिस्तर के नीचे से फन निकालकर छाया करता पाया गया। श्री सत्य साईं के बचपन का नाम सत्यनारायण था।
1940 में छोड़ दिया घर
चित्रावती के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित इमली के वृक्ष (कल्पवृक्ष) से साथियों की मांग पर, विभिन्न प्रकार के फल व मिठाइयां सृजित करने वाले श्री सत्य साईं ने 14 वर्ष की आयु में 23 मई 1940 को उन्होंने अपने अवतार होने के घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि मैं शिवशक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं। यह कहकर उन्होंने मुठ्ठीभर चमेली के फूलों को हवा में उछाल दिया, जिनके धरती पर गिरते ही तेलुगू भाषा में साईंबाबा लिखा गया। 20 अक्टूबर 1940 को उन्होंने यह कहकर घर छोड़ दिया कि उनके भक्त उन्हें पुकार रहे हैं और उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा है।
प्रशांति निलयम आश्रम
श्री सत्य साईं ने पुट्टपर्ती में 'प्रशांति निलयम' आश्रम की स्थापना की, जिसका उद्घाटन उन्होंने 1950 में अपने 25 वें जन्मदिन के अवसर पर किया। वर्तमान समय में यह आश्रम एक आध्यात्मिक ज्ञान-जागृति केंद्र के रूप में विकसित है, जहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले भारत समेत दुनिया के लाखों लोग अवतार श्री सत्य साईं बाबा के दिव्य दर्शन पाने के लिए आते थे। बाबा के चमत्कारों के बारे में इतने अनोखे किस्से चर्चित हैं कि अक्सर विज्ञान, तथ्य और हाथों की कलाकारी के नाम पर उनपर संदेश प्रकट किए जाते रहे।
सत्य साईं के चमत्कार
श्री सत्य साईं के बारें में कहा जाता है कि वह भक्तों के बीच कई तरह के चमत्कार किया करते थे, जिनमें विभूति की वर्षा, हाथों से सोने के आभूषण प्रकट करने जैसे चमत्कार सबसे ज्यादा विख्यात थे। बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा अर्धनारीश्वर का रूप थे, क्योंकि घरों में बाबा के चित्र पूजे जाते हैं, जिनमें एक पैर पुरुष और दूसरा नारी के समान दिखाई देता है।
24 अप्रैल सन 2011 को एक खबर आई, जिसने बाबा के भक्तों को झकझोर कर रख दिया। यह खबर थी कि श्री सत्य साईं बाबा का निधन हो गया। चाहे कुछ भी हो लेकिन बाबा के चमत्कारों के अलावा उन्हें राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है, क्योंकि उनके सिद्धांत हमेशा राष्टहित का पोषण करते रहे। उनका मानना था कि सभी धर्मों ( हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ) को मानने वाले लोगों को अपने धर्म को मानते हुए एक अच्छा मानव बनने की कोशिश करनी चाहिए।
बाबा के विचार
►प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा दूसरे धर्मों का आदर करना चाहिए।
►बाबा का कहना था कि परमात्मा एक है, सिर्फ उनके नाम अलग-अलग हैं।
►किसी भी लोभ लालच और उम्मीद के बिना असहायों की मदद करनी चाहिए।
►हमेशा देश का आदर करने के साथ ही उसके कानूनों का पालन करना चाहिए।
►प्रत्येक धर्म को मानने वाले लोगों को परमनिष्ठा के साथ राष्टधर्म का पालन करना चाहिए।
►आध्यात्मिक प्रेम, अच्छे आचरण, शांति और अहिंसा का पालन और प्रसार करना चाहिए।
बाबा पर आरोप
श्री सत्य साईं बाबा पर कई तरह के आरोप भी लगे। कुछ लोगों ने बाबा पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए और कई भक्तों का कहा कि उन्हें मोक्ष दिलाने के बहाने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए। इन सब आरोपों के वाबजूद भी बाबा के आध्यात्मिक वर्चस्व में कोई कमी नहीं आई और भक्तों की प्रबल आस्था में बाबा में बनी रही। सत्य साईं बाबा को देश के कई नामी जादूगरों ने भी चुनौती पेश की थी। मशहूर जादूगर पीसी सरकार ने तो उनके सामने ही उन्हीं की तरह हवा से विभूति और सोने की जंजीर निकाल कर दिखा दी थी। हालांकि उनके भक्त इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं।
इसे भी पढ़ें : घर बैठे करें शिरडी के साईं बाबा के दर्शन, देखें वीडियो
इन सब बातों के बावजूद बाबा का दुनिया से चले जाना एक अपूरणीय छति रहा, क्योंकि वह एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनकी उपस्थिति से लाखों लोगों की सांसें थम जाती थीं और उनकी वाणी से खामोशी छा जाती थी। बाबा के भक्त उनके दर्शन मात्र पा लेने से अपना जीवन सार्थक समझ लेते थे।