रविवार को सूर्य पूजा का महत्व
सूर्य पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
हम सब जानते हैं कि रविवार को सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ज्योतिष के अनुसार जो लोग रविवार को सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है और दरिद्रता से मुक्ति भी मिल सकती है।
रविवार को सूर्य भगवान को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। यदि रोज भगवान सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो और भी बेहतर होगा लेकिन रविवार को इसका खास महत्व है।
ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य ...
- सुबह स्नान के बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और इसमें चावल-फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेंहू, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में किसी भी चीज का दान किया जा सकता है।
- रविवार के दिन सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें।
- रविवार के दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए व्रत करें। सुबह के वक्त धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें। इसके बाद दिन में सिर्फ एक समय फलाहार करें।
हम जानते हैं कि सूर्य को अर्घ्य देने से कई तरह के लाभ होते हैं पर ये लाभ तब होते हैं जब अर्घ्य पूरी विधि से दिया जाए। सूर्य देव को जल अर्पित करते समय कई वास्तु दोषों का भी ध्यान रखना जरुरी होता है।
अगर इसमें थोड़ी भी चूक हो गई तो इसका फल जल चढ़ाने वाले जातक को नहीं मिलता। कई तरह की सावधानियों पर गौर करते हुए ही सूर्य पूजा करनी चाहिए।
तो आइये यहां जानते हैं कि सूर्य को जल अर्पित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ....
-किसी व्यक्ति की कुंडली में मौजूद सूर्य ग्रह को पिता या ज्येष्ठ का दर्जा दिया जाता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति सही ना हो या उनका ताप अधिक हो तो उसे सूर्य को जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है।
-सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे पहला नियम यह है कि उन्हें प्रात: 8 बजे से पूर्व ही अर्घ्य दे देना चाहिए। नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए।
-सूर्य को अर्घ्य देने के लिए केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग करें और नियमित उपयोग में लेने वाले तांबे के बर्तन का उपयोग न करें। सूर्यदेव को जल अर्पित करने के लिए अलग से ही तांबे की धातु वाला पात्र रखें।
-सूर्य को जल चढ़ाने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं। कुछ लोग सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में गुड़ या चावल भी मिला लेते हैं। ये अर्थहीन है, इससे प्रभाव कम होने लगता है।
-सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूर्व दिशा की ओर सूर्य नजर ना आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करते समय दायें हाथ को आगे कर के जल चढ़ाएं। बायें हाथ से जल अर्पित करने से पुण्य नहीं मिलता है।
- सूर्य को अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है। इसके बाद तीन परिक्रमा करें।
- पुष्प और अक्षत सूर्य को जल देते समय आप उसमें पुष्प और अक्षत (चावल) मिला सकते हैं। साथ ही साथ अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा।
- सूर्य को जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे ना देखें बल्कि लोटे से जो जल बह रहा हो, उसकी धार में ही सूर्य के दर्शन करें।
- लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल देना ज्यादा प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप, अगरबत्ती से पूजा भी करनी चाहिए।
- मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।