कूटनीति बाहर से दिखने में सख्त होती है
नारियल तोड़ने में काफी मेहनत लगती है
शी जिनपिंग का परेशान होना स्वाभाविक है
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति शायद ही कोई समझ पाया हो। जब वे कुर्सी पर होते हैं तो वे दिमाग से काम करते हैं और कुर्सी से हट जाते हैं तो दिल से काम करते हैं। इसका उदाहरण उनके रवैये में होते बदलाव से देखा जा सकता है। उनका मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की तुलना नारियल से की जानी चाहिए।
पीएम मोदी कहते हैं कि जो कूटनीति बाहर से दिखने में सख्त होती है, उसका फल बहुत मीठा और मुलायम होता है। इस कूटनीति का भारत ने चीन के साथ दूसरी बार इस्तेमाल किया है। 64 साल पहले यानी वर्ष 1956 में जब चीन के पहले प्रधानमंत्री Zhou En lai (ज़ाऊ एन लाई) भारत आए थे तब उन्होंने महाबलीपुरम का दौरा किया था। वे भारत की सांस्कृतिक विरासत देखकर दंग रह गए थे। इस दौरान ज़ाऊ एन लाई महाबलीपुरम से 10 किलोमीटर आगे एक गांव में भी गए थे।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाबलीपुरम में चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग को नारियल पानी पिलाया। शी जिनपिंग ने महाबलीपुरम का दौरा किया था। वे भी भारत की संस्कृति देख दंग रह गए। उनके दौरे के दौरान यह जानने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री का नारियल पानी पीने का अनुभव कैसा था।
भारत की चीन के एप पर पाबंदी
पीएम मोदी का मानना है कि नारियल का पेड़ जिस तरह बहुत ऊंचा होता है और उस पर चढ़कर नारियल तोड़ने में काफी मेहनत लगती है, उसी तरह अपने देश की छवि अच्छी करने के लिए भी नेताओं को काफी मेहनत करनी पड़ती है। फिलहाल शी जिनपिंग दुनिया में अपनी बिगड़ती छवि से परेशान हैं। चीन की नीति की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। अमेरिका ने चीन की 28 कंपनियों पर पाबंदी लगा दी है और भारत ने भी चीन के एप पर पाबंदी लगा दी है।
शी जिनपिंग के मुकाबले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने 2019 का चुनाव 2014 के मुकाबले बड़े अंतर से जीता है। प्रधानमंत्री ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने जैसा एतिहासिक फैसला भी लिया और पूरे देश ने उनके इस फैसले का समर्थन किया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर दुनिया के ज्यादातर देशों ने भी भारत का साथ दिया।
प्रधानमंत्री मोदी कूटनीतिक तौर पर पहले से ज्यादा मजबूत हो गए हैं। Howdy Modi जैसे कार्यक्रम में दुनिया ने मोदी की विश्व नेता वाली छवि को देखा जिससे शी जिनपिंग का परेशान होना स्वाभाविक है। चीन के दोस्त पाकिस्तान को भी कूटनीतिक तौर पर भारत अलग-थलग कर चुका है। चीन भी ये बात अच्छी तरह समझता है।