सूर्यदेव मेष राशि में करेंगे प्रवेश
मेष संक्रांति पर यूं करें सूर्य पूजा
मेष संक्रांति पर स्नान-दान का महत्व
हम जानते ही हैं कि सूर्यदेव का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है और सूर्यदेव जिस राशि में जाते हैं उसी के नाम से वह संक्रांति जानी जाती है। हर राशि में सूर्यदेव लगभग एक महीने तक रहते हैं। इस बार सूर्यदेव मेष राशि में जाएंगे इसीलिए इसे मेष संक्रांति कहते हैं। 13 अप्रैल को सूर्य राशि परिवर्तन कर रहे हैं। सूर्य 13 अप्रैल से 14 मई तक इस राशि में रहेंगे।
संक्रांति को स्नान-दान-तर्पण के लिए बहुत शुभ माना जाता है। सूर्यदेव का मीन राशि से मेष राशि में आने को मेष संक्रांति कहा जाता है। यह दिन सौर वर्ष का पहला दिन माना जाता है। इस संक्रांति को भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी यात्रा पूर्ण करते हैं।
मेष संक्रांति के चार घंटे पहले और चार घंटे बाद पुण्यकाल माना जाता है। कहते हैं इस काल में दान करने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस पुण्यकाल में स्नान-दान और पितरों का तर्पण अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस संक्रांति को भगवान मधुसूदन की पूजा का विशेष महत्व है।
इस दिन स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करें। मेष संक्रांति पर सूर्यदेव को अर्घ्य अवश्य अर्पित करें। सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। मान्यता है कि संक्रांति काल में दान करने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन जरूरतमंदों को गेहूं, गुड़ और चांदी की कोई भी वस्तु दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होता है। सूर्यदेव की पूजा कर गुड़ और सत्तू का प्रसाद वितरित करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा बनी रहती है। इस दिन भगवान सूर्य के साथ मां काली, भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है।
मेष संक्रांति पर ऐसे करें सूर्य पूजा
सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सूर्यनारायण की कृपा प्राप्त होती है। मेष संक्रांति के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाए। लाल वस्त्र धारण कर तांबे के लोटे में जल भरें। जल में चावल, लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना से करें।
सूर्य आराधना से सूर्य ग्रह से संबंधी दोषों का निवारण होता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है। सूर्य आराधना से यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।
सूर्य मंत्र स्तुति
नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।
इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।
इस प्रकार सूर्य की आराधना के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें। आप चाहें तो ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
इन चीजों का करें दान
सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। सूर्य के निमित्त व्रत करें। एक समय फलाहार करें और सूर्यदेव का पूजन करें।
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